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Written By WD

पहले भारत के परमाणु संयंत्र तो सुधरें

भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का काला सच (भाग-2)

पहले भारत के परमाणु संयंत्र तो सुधरें -
-सचिन शर्म
भारत-अमेरिका के बीच अंतिम रूप लेने जा रहे परमाणु समझौते की वर्तमान दृश्यावली में हमें भारत के परमाणु संयंत्रों पर भी एक नजर डाल लेना चाहिए। पिछले आलेख में हमने परमाणु संयंत्रों के वैश्विक परिप्रेक्ष्य के बारे में पढ़ा था, लेकिन अपने घर को खँगालना चाहिए।

विश्व के कुछ बड़े अखबारों और कुछ बड़े लोगों ने भी ऊर्जा के इस स्रोत पर अपनी टिप्पणी की है। उसे भी यहाँ देखेंगे। हाँ, सब विषयों को दृष्टिगत रखने वाले लोग यह जरूर मानते हैं कि परमाणु विज्ञान 'बनाने' से ज्यादा 'बिगाड़ने' का काम करता है और जिन्होंने इसे सबसे पहले अपनाया, अब वे ही इसे सबसे पहले छोड़ने की भी तैयारी कर रहे हैं।

भारत से जुड़े परमाणु विज्ञान एवं ऊर्जा के कुछ विवादास्पद तथ्य :-

ट्राम्बे (मुंबई के पास)
- 14 मार्च 1980 को ट्राम्बे में संयंत्र के कूलेंट ट्यूब से कूलेंट का रिसाव हो गया। रिसने वाले ट्यूब की मरम्मत और वहाँ फैले कूलेंट को साफ करने का काम दिहाड़ी मजदूरों से लिया गया, जिनका बाद में पता तक नहीं चला कि वो कूलेंट के संपर्क में आकर किस प्रकार की रेडिएशन्स का शिकार हुए और उन्हें बाद में क्या हुआ। दिहाड़ी मजदूरों से काम लेने के पीछे शायद मकसद भी यही था।

कोटा का परमाणु संयंत्
- इस संयंत्र से प्रतिदिन 80 किलो रेडियोएक्टिव भारी पानी निकलता है।
- यहाँ के टर्बाइन्स और अन्य उपकरणों के खराब होने की भी अकसर सूचना आया करती है।
- टिट्रियम का कान्सनट्रेशन मान्य सीमा से 400-500 गुणा ज्यादा रहता है।
- 1975 में यहाँ प्रति व्यक्ति 800 रेम रेडियोएक्टिविटी मापी गई, जो विश्व में सबसे ज्यादा थी।

नरोरा (बुलंदशहर) का परमाणु संयंत्
- यह भूकंप संवेदनशील क्षेत्र है। यहाँ भूजल स्तर 4-5 मीटर ही है। ऐसे में भूकंप का हलका-सा झटका भी भूमि जल को रेडियोएक्टिव कर सकता है। यहाँ पक्की नींव के लिए चट्टानें तक नहीं हैं।

हैदराबाद का रिप्रोसेसिंग सेंट
- यहाँ के स्थानीय जल स्रोतों में रेडियोएक्टिविटी 20 गुणा ज्यादा बढ़ी हुई पाई गई।
- यहाँ प्रतिदिन एक बैरल रेडियोएक्टिव कूड़ा टिन कंटेनर्स में भरकर जमीन के नीचे दबा दिया जाता है।

बिहार में जादूगोड़ा की यूरेनियम खदाने
- यहाँ कच्ची धातु का उपचार किया जाता है। इससे निकलने वाले कचरे को 25 हेक्टेयर की झील में जमा किया जाता है। यहाँ संयंत्र से 10 कि.मी. दूर तक घास और दूध में रेडियम का अस्तित्व पाया गया है।
स्थानक्षमता
तारापुर210 गुणा 2
कोटा220 गुणा 2
कलपक्कम235 गुणा 2
नरोरा235 गुणा 2
काकारपारा235 गुणा 2

(कुल क्षमता : 2270 मेगावॉट)

विश्व में परमाणु शक्ति की वर्तमान स्थिति :
- विश्व में ऊर्जा के कुल उत्पादन का सिर्फ 6.1 प्रतिशत ही परमाणु ऊर्जा है। अगर बड़े देशों की परमाणु ऊर्जा के ऊपर निर्भरता देखी जाए तो वह इस प्रकार है :

अमेरिका : 30 प्रतिशत
फ्रांस : 16 प्रतिशत
जापान : -10.4 प्रतिशत
रूस : 5 प्रतिशत

प्रमुख राष्ट्रों में ऊर्जा के स्रोतों का हिस्सा :
देशपरमाणु ऊर्जातेल एवं गैस
अमेरिका8 फीसदी90 फीसदी
फ्रांस32 फीसदी56 फीसदी
जापान 12.6 फीसदी 83 फीसदी
रूस5 फीसदी98 फीसदी
जर्मनी12 फीसदी86.7 फीसदी
भारत1 फीसदी94 फीसदी









कुछ महत्वपूर्ण कोट्
फ्रॉम हिरोशिमा टू इराक, 61 ईयर्स ऑफ यूरेनियम वार्स : ए सुसाइडल, जिनोसाइडल, ओमनिसिडल कोर्स नामक ख्यात किताब में लोरेन मोरेट ने लिखा है कि विश्व भर के परमाणु संयंत्रों के पास से पब्लिक हैल्थ प्रोजेक्ट 26 नामक संस्था ने बच्चों के 6 हजार दाँतों को ढूँढ़ा। जाँच से पता चला कि सामान्य दाँतों की तुलना में उन दाँतों में स्ट्रोन्टियम 90 रेडिएशन्स का प्रभाव दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।

क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर नामक पत्रिका के 19 जुलाई 2007 के अंक में लंदन के मेयर केन लिविंगस्टोन ने कहा है कि परमाणु विज्ञान के रास्ते पर चलना एक 'वैश्विक भूल' है। उन्होंने कहा कि हमें मौसम और पर्यावरण में हो रहे बदलावों को रोकने के लिए प्रयास करने चाहिए, न कि उन्हें और ज्यादा बिगाड़ने के प्रयास करने चाहिए। अगर यही होता रहा तो इस सबसे पृथ्वी का नुकसान होना तय है।

अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार- अगर 2030 तक ऊर्जा की संभावित खपत की भरपाई करनी है तो इसके लिए विश्व भर में 10 लाख विंड टर्बाइन, न्यू जर्सी शहर को आधा ढँक लें। इतने सोलर (सौर ऊर्जा के लिए) पैनल, भारी पौधरोपण, वैश्विक स्तर पर गाड़ियों में सुधार जिससे तेल खपत कम हो, 400 ऐसे पॉवर प्लांट जो कार्बन डाईऑक्साइड को पर्यावरण से समेटकर जमीन के नीचे दफना दें और सबसे बड़ी बात अमेरिका के अनुसार 350 विवादास्पद परमाणु संयंत्रों की विश्व भर में स्थापना की जरूरत पड़ेगी। (वॉशिंगटन पोस्ट ने अपने इस कमेन्ट में परमाणु संयंत्रों को खुद ही विवादास्पद कहा है)