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Written By WD

डॉ. कलाम : हॉकर से राष्ट्रपति तक

डॉ. कलाम : हॉकर से राष्ट्रपति तक -
- पं. अशोक पंवार 'मयंक'

भारत के राष्ट्रपति पद के लिए प्रमुख दावेदार भारत रत्न अब्दुल फकीर जैनुल आबेदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को कर्क लग्न व तुला नवांश में बुध की महादशा व ज्येष्ठा नक्षत्र में धनुषकोड़ी (रामेश्वरम) में हुआ। कर्क लग्न शाही लग्न माना जाता है। इस लग्न में कई महान हस्तियों का जन्म हुआ।

कर्क लग्न में जन्म लेने से आप भावुक, शांत, कोमल स्वभाव वाले हैं। जन्म लग्न में लग्नेश पंचम भाव में नीच राशि का है लेकिन पंचमेश मंगल चतुर्थ केंद्र भाव में होने से चंद्र का नीच भंग हुआ। गुरु जो भाग्येश व षष्टेश होकर लग्न में उच्च का है, उसकी पंचम भाव पर मित्र दृष्टि पड़ रही है, वहां पर चंद्र स्थित है अतः गजकेसरी योग भी बना। इसी के चलते इन्होंने विद्या के क्षेत्र में उच्चतम सफलता प्राप्त की।

द्वितीयेश सूर्य पराक्रम भाव (तृतीय) में द्वादश बुध उच्च का होकर केतु के साथ विराजमान है अतः ये स्वयं के बल पर परिश्रम युक्त उच्च सफलता पाने में समर्थ हुए। चतुर्थ भाव में एकादशेश शुक्र स्वराशि तुला का होकर दशमेश व पंचमेश मंगल के साथ विराजमान है, जो पंचमहापुरुष योग में से एक मालव्य योग लेकर बैठा है। मंगल विस्फोट का कारक है, जो पंचमेश है। शुक्र इलेक्ट्रॉनिक्स का कारक है अतः इन्होंने भारत के लिए मिसाइलों व परमाणु बम का निर्माण कर भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर कर दिया।

मंगल दशम भाव का कारक है, जो जनता व कुर्सी भाव में शत्रु राशि तुला में है। उसकी चतुर्थ दृष्टि सप्तम भाव पर उच्च पड़ रही है लेकिन स्त्री का कारक शुक्र मंगल के साथ है, वहीं सप्तमेश शनि अग्नि तत्व की राशि धनु में होकर षष्ट भाव सप्तम भाव से द्वादश है। अतः इन्होंने विवाह नहीं किया। चूंकि मंगल चतुर्थ भाव में है, जो इस भाव में कारक भी होता है। मंगल भूमि तथा भवन का कारक है अतः इन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सारा जीवन लगा दिया और अपनी खोजों के द्वारा आज भारत को अन्य के मुकाबले ला खड़ा किया।

शनि आयु भाव पर स्वदृष्टि डाल रहा है अतः इनकी आयु भी उत्तम रहेगी। राहु नवम भाव में है, जो एक प्रकार के नीच के समान ही फल देता है लेकिन उस भाव का स्वामी गुरु लग्न में (केंद्र) उच्च का है अतः राहु का नीच भंग हुआ।

गुरु की नवम दृष्टि नवम भाव पर राहु व अपनी राशि मीन पर पड़ रही है। राहु गुप्त युति का कारक है अतः इन्हें गूढ़ विद्या वैज्ञानिकी में उच्चतम सफलता दिलाई। शुक्र की महादशा में शुक्र के अंतर में प्रतिरक्षा शोध एवं विकास संस्थान में अध्ययन किया। आपको 63 में जब शुक्र में मंगल का अंतर चल रहा था, तब नासा (अमेरिका) ने छह माह के लिए आमंत्रित किया। मंगल चतुर्थ भाव में इनकी जन्म लग्न में है, जो शुक्र के साथ है।

द्वितीयेश सूर्य की महादशा, जो वाणी व बुद्धि का कारक भाव भी है, में आप निदेशक इंटीग्रेटेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम निदेशक समन्वित प्रेषणास्त्र विकास कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। आपको पहली बार सूर्य में केतु के अंतर में पद्मविभूषण से व मंगल की महादशा में बुध के अंतर से एम.के. फिरोदिया अवॉर्ड विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में उत्कृष्टता हेतु मिला।

चतुर्थ भाव में बैठे मंगल की चतुर्थेश शुक्र की अंतरदशा में भारत रत्न मिला। जब दशाएं अनुकूल हों तो वह जातक महान उपलब्धियों को प्राप्त करता जाता है। वर्तमान में इन्हें राहु की महादशा में गुरु का अंतर चल रहा है। गुरु भाग्येश भी है, जो निश्चित रूप से उन्हें भारत के राष्ट्रपति पद के लिए सफलता दिलाएगा। मिसाइलमैन के रूप में पहचाने जाने वाले कलाम का इस उच्च पद चुना जाना अवश्य ही भारत के लिए लाभकारी साबित होगा।