शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. करियर
  4. »
  5. आलेख
Written By ND

बढ़ते निवेश के साथ विनिर्माण में रोजगार

बढ़ते निवेश के साथ विनिर्माण में रोजगार -
- अशोक सिंह

ND
ND
किसी भी देश के सतत विकास के लिए बुनियादी ढाँचे का होना अत्यंत आवश्यक है। इंफ्रास्ट्रक्चर से अभिप्राय है सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक एवं कृषिगत विकास हेतु न्यूनतम सुविधाएँ, जिनमें बिजली, रोड, आवास व्यवस्था, यातायात एवं लॉ एंड ऑर्डर से लेकर वित्तीय संसाधनों का उल्लेख किया जा सकता है।

भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में जिसे दुनिया के दूसरे सर्वाधिक आबादी वाले देश के रूप में जाना जाता है, यह काम इतना आसान नहीं है लेकिन विश्वव्यापी स्तर पर समृद्ध एवं औद्योगिक राष्ट्र के रूप में पहचान बनाने की प्रतिबद्धता और विभिन्न सरकारी योजनाओं में वित्तीय प्रावधानों की बदौलत स्थितियों और सोच में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला है।

विनिर्माण उद्योग की बात करें तो आज न सिर्फ आवासीय बल्कि औद्योगिक प्रतिष्ठानों के विनिर्माण का कार्य देश के छोटे-बड़े शहरों में लंबी मंदी के बाद जोर पकड़ता हुआ दिखाई पड़ रहा है। समाचार पत्रों में आए दिन सरकारी एवं निजी बिल्डिंग निर्माण कंपनियों के इससे संबंधित विज्ञापन देखे जा सकते हैं।
होम लोन की ब्याज दरों में कमी, आयकर में किश्त चुकाने से संबंधित रियायत तथा बिल्डर फ्लैटों के प्रस्तावित मूल्य में कटौती से एक बार फिर मकानों तथा फ्लैटों के खरीदारों का रुख इस ओर होना प्रारंभ हुआ है।

लाखों करोड़ के विनिर्माण के इस कारोबार में सरकारी निवेश भी कुछ कम नहीं होता है। इसके अलावा सड़क निर्माण, पुल, ओवरब्रिज तथा अन्य प्रकार के सामुदायिक भवनों के निर्माण संबंधी काम भी सरकारी एजेंसियां प्रायः निजी ठेकेदारों अथवा निजी कंपनियों के जरिए करवाती हैं तो देर किस बात की है आप भी अपनी शैक्षिक योग्यता और दिलचस्पी के अनुसार इस कंस्ट्रक्शन उद्योग में रोजगार अथवा स्वरोजगार के मार्ग का समय रहते चयन करें।

झलकियाँ -

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 1,22,500 करोड़ रुपए का प्रावधान नई सड़कों के निर्माण एवं पुरानी सड़कों के रख-रखाव हेतु रखा गया है।

इसी योजना में 40,000 करोड़ रुपए एयरपोर्ट तथा 60,000 करोड़ रुपए पोर्ट्‌स के निर्माण हेतु रखे गए हैं।

योजना में 37.2 लाख मानव श्रम की बराबर इंजीनयरों तथा 80 लाख मानव श्रम के समतुल्य अन्य तकनीकी कार्मिकों की जरूरत दर्शाई गई है।

ग्रामीण इलाकों से शहरों में 2020 तक 14 करोड़ लोगों का तथा 2050 तक 70 करोड़ लोगों का पलायन होगा।

वर्ष 2012 तक अतिरिक्त 79,500 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य

विश्व के सर्वाधिक सड़क नेटवर्क वाले देश के रूप में भारत का नाम है। यहाँ पर 33.4 लाख कि.मी. तक सड़के हैं। इनमें से महज 2 प्रतिशत ही हाईवे हैं, जिस पर कुल यातायात का 40 प्रतिशत भार है। ऐसे में हाईवे की लंबाई समूचे देश में फैलनी स्वाभाविक है।

लगभग 4 करोड़ आवासीय इकाइयों की वर्तमान में कमी है जिसकी भरपाई आगामी वर्षों में करनी होगी।