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Written By WD

बदलाव से ही बढ़ेगी सिविल सेवा की गुणवत्ता

वेबदुनिया डेस्क

बदलाव से ही बढ़ेगी सिविल सेवा की गुणवत्ता -
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वर्तमान सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा वैश्विक परिदृश्य का आधारभूत ज्ञान व सूझबूझ रखने तथा भारतीय संदर्भ में इन विषयों को सुलझाने की क्षमता तथा दूरदृष्टि रखने वाले ऐसे प्रशासकों की देश को जरूरत है, जो रचनात्मक नवप्रवर्तनकारी दृष्टिकोण रखते हों।

चूंकि अशांति व अवरुद्धता भी इसी दौर की देन रही है, इसलिए भारतीय संदर्भ में स्रोत, संरचना तथा समस्या समाधान के ज्ञान के साथ ही संघ लोकसेवा आयोग परीक्षा का प्रस्तावित स्वरूप अभ्यर्थियों के बौद्धिक, नैतिक व मानवीय गुणों, सामाजिक जागरूकता और संवेदनशीलता का भी आकलन करेगा ताकि देश को ऐसे सफल प्रशासक मिलें जिनमें कॉर्पोरेट वर्ल्ड का नेतृत्व करने की क्षमता भी हो।

उपनिवेशीय दर्शन व कोठारी समिति की अनुशंसाओं पर आधारित वर्तमान परीक्षा प्रणाली विशेषकर मुख्य परीक्षा के प्रारूप में तीक्ष्ण परिवर्तनों द्वारा उसे अधिक प्रभावशाली बनाने की आवश्यकता है ताकि उसके द्वारा सिविल सेवा को अपनी जीवनवृत्ति बनाने वाले संभावित उम्मीदवारों के कुछ गुणों को निर्धारित किया जा सके।

यह स्पष्ट है कि गृहक्षेत्र व अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में होने वाले प्रभावशाली परिवर्तनों के इस दौर में प्रत्येक उम्मीदवार में ये गुण विकसित हो चुके होंगे। परीक्षा प्रक्रिया में तीनों स्तरों पर परिवर्तन करना होगा- प्रारंभिक मुख्य व साक्षात्कार। प्रारंभिक परीक्षा के प्रारूप में परिवर्तन लाना है।
नया प्रस्तावित प्रारूप निम्न प्रकार से होगा-

सामान्य अध्ययन में दो प्रश्न-पत्र होंगे। पहला सामान्य अध्ययन पर होगा और दूसरा सामान्य विज्ञान, तर्क आधारित, परिमाणपरक योग्यता पर होगा। 300-300 अंकों के दोनों प्रश्न-पत्रों का समय दो-दो घंटे होगा। सामान्य अध्ययन के प्रश्न-पत्र द्वारा उम्मीदवार की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय महत्वपूर्ण घटनाओं तथा भारतीय इतिहास व राष्ट्रीय आंदोलन, भारतीय राज्य व्यवस्था, समाज व अर्थव्यवस्था के प्रति रुचि का आकलन किया जाएगा।

दूसरे प्रश्न-पत्र में सामान्य विज्ञान व परिमाणपरक योग्यता पर आधारित प्रश्न होंगे। वास्तव में यही नवयुग की आवश्यकता है। उम्मीदवार की निर्णय लेने की शक्ति, नेतृत्व क्षमता व अभिप्रेरणा योग्यता पर कुछ प्रश्न रखने होंगे। इन दोनों प्रश्न-पत्रों द्वारा उम्मीदवार का वर्तमानकालीन घटनाओं विषयक ज्ञान, सूझबूझ तथा उसकी मानसिक योग्यता, तर्कशीलता और तर्कयुक्त विश्लेषण की क्षमता का आकलन किया जा सकेगा।

प्रारंभिक परीक्षा द्वारा सामान्य घटनाओं के विषय में कम सूझबूझ व कम मानसिक योग्यता वाले अभ्यर्थियों की आयोग छंटनी कर सकेगा। मुख्य परीक्षा का उद्देश्य अभ्यर्थियों के बौद्धिक व नैतिक गुणों का आकलन उसके किसी भी रुचिकर विषय में करने के लिए प्रचलित व्यवस्था में अहम परिवर्तन करने होंगे।

अभ्यर्थियों में बौद्धिक गुणों कसाथ ही उनमें वर्तमान सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक समस्याओं के प्रति जागरूकता व सजगता भी होना चाहिए। इन गुणों का आकलन प्रचलित परीक्षा प्रणाली के अंतर्गत नहीं किया जा सकता है जिसमें अभ्यर्थी द्वारा चयनित विषय- साहित्य, विज्ञान, औषधि, इंजीनियरिंग, विधि आदि। किंतु कुछ चयनित विषयों पर अभ्यर्थी के ज्ञान का विस्तारपूर्वक परीक्षण करना जो सरकार में राजपत्रित पद पाने का इच्छुक है। भारत में भी मुख्य परीक्षा के लिए वैसा ही तरीका अपनाना चाहिए।