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Written By ND

कैसे करें केट से फाइट?

कैसे करें केट से फाइट? -
- पूजा जोशी

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इस साल फिर नवंबर के तीसरे संडे को सारे देश के युवा एक मोर्चे पर अपने करियर की जंग लड़ रहे होंगे। इस बार योद्धा अलग होंगे, उनकी रणनीति अलग होगी और यहाँ तक कि युद्ध की तीव्रता भी अलग होगी, लेकिन इस युद्ध का परिणाम भी हमेशा की तरह ही होगा। जीतने वाले को देश के श्रेष्ठतम मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की प्रतिष्ठित सीट पर कब्जा करने का पुरस्कार मिलेगा।

यह मेरी किस्मत है कि मैंने दो साल पहले ही बिल्ली के गले में घंटी बाँध ली और केट को कब्जे में कर लिया था। लेकिन इतना बताने में मुझे कोई शर्म या हर्ज नहीं कि यह मेरा सेकंड अटेम्प्ट था। पहले अटेम्प्ट में मेरे साथ भी वहीं हुआ था, जो देश के 90 प्रश से ज्यादा स्टूडेंट्स के साथ होता है। मैं केट की पहली एक्जाम में फेल हो गई थी और सेकंड अटेम्प्ट में सक्सेस ने मेरा साथ दिया था।

ऐसे में मेरा मानना है कि यदि मेरे अनुभव से आपको केट या किसी भी मैनेजमेंट इंट्रेंस एक्जाम में तैयारी करने में मदद मिले तो यह मेरा प्रिवेलेज होगा। केट की परीक्षा में अधिकतम परिणाम प्राप्त करने से ही सफलता संभव है। जब तक आप यह सोचना शुरू नहीं कर लेते कि यह एक अलग तरह की एक्जाम है, आपके लिए केट को कब्जे में लेना मुश्किल होगा। ऐसी कुछ छोटी-छोटी बातें हैं जिनसे बड़ा फर्क पड़ता है और यही छोटी-छोटी बातें ही सफलता को सुनिश्चित करती हैं।

जानिए अपने आपको और बनिए उसके लायक : जब से और जब तक आप केट की तैयारी करें, अपने आपको दुनिया-जहान से अलग मानिए। आपको अपने टीचरों, सीनियर्स और फ्रेंड्स से तरह-तरह की सलाहें सुनने को मिलेंगी। ये सब रायबहादुर आपको टेस्ट से निपटने की राय देने में पीछे नहीं रहेंगे, लेकिन यहाँ आपको 'सुनें सबकी और करें मन की' कहावत का पालन करना होगा। मेरे विचार में सबसे अच्छी सलाह यही हो सकती है कि आप किसी अच्छे प्रिपरेशन इंस्टीट्यूट से जुड़कर टेस्ट सीरिज को सॉल्व करने की जोरदार प्रैक्टिस शुरू कर दें, क्योंकि प्रैक्टिस मैक्स ए मैन परफेक्ट!

करें गलतियों को एनेलाइज : दूसरी परीक्षाओं की तुलना में केट की तैयारी में काफी एनेलेसिस और एप्लीकेशन की आवश्यकता होती है। प्रत्येक टेस्ट के बाद आपको यह करना चाहिए कि उन गलतियों को एनेलाइज करें, जो आपसे हुई हैं। उन सेक्शन पर ज्यादा ध्यान दें, जो अच्छी तरह से अटेम्प्ट नहीं किए गए हैं। इसके बाद आगे बढ़ने से पहले उन विषयों को टेक्स्ट बुक और प्रैक्टिस एक्सरसाइज से तैयार करने पर ध्यान दें। यह सब करने से आप समस्या की जड़ तक पहुँच जाएँगे और आपका बेस मजबूत होने से एक्जाम के दौरान आपको खोपड़ी खुजाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

अड़ियल न बनें : कोई आपसे केट के लिए दावा करे कि एक्जाम का पैटर्न यही होगा तो मानिए कि वह आपको धोखा दे रहा है। चूँकि केट का कोई फिक्स फॉर्मेट, सिलेबस या औपचारिक मटेरियल ही नहीं है, तो इसका पैटर्न कैसे फिक्स हो सकता है? इसलिए आपके लिए सबसे जरूरी यह होगा कि अपने आपको टेस्ट के फॉर्मेट के अनुसार ढालें और टेस्ट में अपने परफॉर्मेंस के आधार पर ही आगे की तैयारी करने की रणनीति तैयार करें। आपकी तैयारी और आपकी कमजोरी के आधार पर ही आपका रिजल्ट निर्भर करेगा।

केट के मामले में यह तय करना सबसे मुश्किल होता है कि एक्जाम के दौरान किस सेक्शन को पहले अटेम किया जाए और किस सेक्शन को कितना समय दिया जाना चाहिए। और दूसरी समस्या यह है कि आपको यह जानना मुश्किल होता है कि समझ में न आ रहे प्रश्न को कब छोड़ना चाहिए। इसके लिए बेहतर होगा कि तैयारी के समय ही सारी संभावनाओं के लिए रणनीति तैयार कर ली जाए।

आप जितनी बार प्रैक्टिस करें, हर बार सेक्शनों का क्रम बदल दें, प्रत्येक सेक्शन का समय बदल दें और हर बार अलग-अलग प्रश्न को सॉल्व करने की आदत डालें ताकि आपको एक्जाम के दौरान उत्तर देते समय किसी एक पैटर्न या च्वॉइस पर निर्भर न रहना पड़े। एक्जाम देते समय सारे समय आपको एक ही बात याद रखनी होगी कि आपको कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा स्कोर करना है।

कॉन्फिडेंस और पॉजीटिव थिंकिंग का दिन : अपने ऊपर कभी भी नर्वसनेस को हावी न होने दें। याद रखें कि एक्जाम का दिन तैयारी के दौरान दिए जाने वाले टेस्ट के दिनों से बहुत अलग होता है। मेरे ऐसे कई साथी हैं जिन्होंने तैयारी के दौरान कभी भी टेस्ट में 99 पर्सेंटाइल को क्रॉस नहीं किया। मैं खुद एक बार इस मार्क्स तक पहुँच पाई थी। एक्जाम वाले दिन क्या मैं उतनी लकी रहूँगी?

जी हाँ, मैं इसे अलग तरह से सोचना चाहूँगी। यकीन मानिए एक्जाम के दिन सब्जेक्ट की उतनी ज्यादा टेस्ट नहीं होती जितना कि हम मानते हैं, क्योंकि केट की तैयारी करने वाला कोई भी कमजोर नहीं होता है। सभी ने इसकी प्रिपरेशन में कई रातें काली की होती हैं। सबसे ज्यादा टेस्ट आपकी नर्वसनेस की होती है। इसलिए केट की एक्जाम वाले दिन सकारात्मक सोच जरूरी ही नहीं अनिवार्य है। उस दिन अपने आप पर सबसे ज्यादा कॉन्फिडेंस रखें और सोचिए कि यह सामान्य टेस्ट जैसी ही है।

पहले का परफॉर्मेंस और अधूरा सिलेबस डर का सबसे बड़ा कारण हो सकता है। लेकिन यह बीती बातों पर सोचने का समय नहीं है। इसकी जगह यह सोचना आरंभ करें कि आज का दिन सिर्फ मेरा है और देखिए बिल्ली यानी केट आपके कब्जे में होगी।