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Written By ND

गुरु-मंत्र : 'कथनी' से ज्यादा 'करनी' पर दें ध्यान

केवल बातें न बनाएं काम करके दिखाएं

गुरु-मंत्र : ''कथनी'' से ज्यादा ''करनी'' पर दें ध्यान -
अनुराग तागड़े
वर्ष 2012 नई संभावनाओं और आशाओं को लेकर आपके सामने खड़ा है। वर्ष का प्रथम सप्ताह अपने आप में काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यहां से आप वर्ष को अपने तरीके से देख सकते हैं और अपने तरीके से प्लान भी कर सकते हैं। कई युवा साथी प्लान भी करते हैं। टारगेट भी सेट कर लेते हैं पर जब वर्ष का अंत आता है तब वे स्वयं को खाली पाते हैं। संकल्प लें और लक्ष्य ऐसा बनाएं कि उसे पूर्ण करने की ताकत स्वयं में हो।

कई युवा साथी लगातार एक ही परीक्षा पास करने के चक्कर में वर्षों व्यर्थ कर देते हैं। इतना ही नहीं नववर्ष के संकल्प में कई लोग शराब छोड़ने से लेकर तंबाखू, गुटखा नहीं खाने और अपने आप को सकारात्मकता की ओर ले जाने की बातें करते हैं। ढेर सारी पढ़ाई और माता-पिता के सपनों को पंख लगाने की बात करते हैं पर क्या सभी के सपने और संकल्प पूर्ण हो पाते हैं...निश्चित रूप से उत्तर है नहीं। सभी के सपने पूर्ण नहीं होते किसी के अधूरे रहते हैं। किसी के मंजिल पास आते-आते टूट जाते हैं और कई लोग सपने पूर्ण करने की दौड़ आरंभ ही नहीं कर पाते।

कई साथी केवल बातें करते हैं और संकल्प पूर्ण करने के लिए किसी भी तरह की मेहनत करने से कतराते हैं। दरअसल व्यक्ति का मन बड़ा विचित्र होता है वह अपनी सफलता प्राप्ति के लिए जरा सा सहारा भी मिल जाता है तब मानने लगता है कि सफलता मिल ही गई। जबकि वास्तविकता यह है कि जब तक व्यक्ति स्वयं मेहनत करने का संकल्प नहीं लेता उसे सफलता प्राप्ति के सपने पहले नहीं देखना चाहिए।

एक चिड़िया और उसके दो छोटे बच्चों की कहानी है जो काफी कुछ सिखाती है। एक बड़े से खेत के बीच एक चिड़िया ने घोंसला बनाया और उसमें दो अंडे दिए। उनमें से दो छोटे बच्चे निकले और चिड़िया प्रतिदिन खेत में और आसपास से उनके लिए खाना लाती थी। ऐसा सिलसिला काफी दिनों तक चला। बच्चे बड़े होने लगे थे परंतु इतने बड़े भी नहीं हुए थे कि उड़ सकें। कुछ दिनों बाद खेत में लगी फसल पकने को आ गई थी और इधर चिड़िया को भी चिंता होने लगी थी।

एक दिन जब चिड़िया घोसले में नहीं थी तब किसान अपने बेटे के साथ आया और कहने लगा कि बेटा फसल पक गई है हमें कुछ करना चाहिए। दोनों ने यह निश्चय किया कि गांववालों और अपने रिश्तेदारों की मदद से हमें फसल काटना चाहिए। यह बात सुनकर घोंसले में बैठे बच्चे घबरा गए और अपनी मां के आने का इंतजार करने लगे।

जब चिड़िया अपने घोंसले में आई तब दोनों बच्चों ने यह बात बताई कि जल्द ही फसल कटने वाली है किसान और उसका बेटा आया था। अब हमारा क्या होगा? चिड़िया ने बात समझी और कहा कि यह तो ठीक है पर वह फसल काटने के बारे में क्या बोले तब दोनों बच्चों ने कहा कि वे कह रहे थे कि गांववालों व और अपने रिश्तेदारों को फसल काटने के लिए लाएंगे। तब चिड़िया ने कहा कि डरने की जरूरत नहीं अभी फसल नहीं कटने वाली।

इस तरह काफी दिन बीत गए और कोई भी फसल काटने नहीं आया। कुछ समय बाद फसल इतनी पक गई थी कि दानें गिरने लगे। तब एक दिन किसान फिर अपने बेटे को लेकर आया। उसने फसल की स्थिति देखी और कहा कि बेटा कल हमें ही आना पड़ेगा और दोनों मिलकर फसल काटेंगे। चिड़िया जब घोसले में आई तब दोनों बच्चों ने यह बात जब चिडिया को बताई कि कल किसान और उसका बेटा स्वयं आकर फसल काटने वाले तब चिड़िया बोली कि अब हमें यहां से निकलना ही होगा। अब तुम दोनों उड़ने लायक भी हो गए हो। कल हिम्मत करो और यहां से निकलने का प्रयत्न करो।

दूसरे दिन किसान और उसका बेटा खेत पर आने से पहले चिड़िया और उसके दोनों बच्चे वहां से जा चुके थे। दोस्तो यह छोटी सी कहानी हमें यह सीख देती है कि संकल्प करें, उसके बारे में बातें भी करें पर जिसके लिए संकल्प लिया है उस कार्य को करने के लिए कमर कसें और असल में काम करके बताएं।