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Written By WD

कुछ न कुछ करते रहिए

- वेबदुनिया डेस्क

कुछ न कुछ करते रहिए -
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यह हमारे स्वभाव में है कि लगातार एक जैसा का काम करते रहने से बोरियत होती है। बचपन में हर कोई यह सोचता है कि बड़े होने पर मैं यह करूंगा, वह करूंगा। लेकिन जब हम बड़े होते हैं तो एक ही काम को लगातार करके अक्सर हमें बोरियत महसूस होती है।

हमारा मन कुछ नया करने की चाहत जरूर रखता है पर पस्थितियों की वजह से और आलस की वजह से हम बदलाव नहीं कर पाते, जबकि असल में अगर बदलाव के लिए हम प्रयत्न करें तब बदलाव अपने-आप मौके ढूंढता है।

जिंदगी के उत्तरार्द्ध में खासतौर पर व्यक्ति के पास करने के लिए कुछ नहीं रहता और समाज जबरदस्ती उसे बुजुर्ग कहकर घर में बैठा देता है जबकि उसकी इच्छा समाज को और कुछ देने की होती है। छोटी सी कहानी है पर यह युवाओं के काम की भी है और बुजुर्ग भी इससे चाहें तो प्रेरणा ले सकते हैं। 87 वर्ष की उम्र में एक महिला ने कॉलेज के एक वर्षीय डिप्लोमा में एडमिशन लिया। महिला काफी खुशमिज़ाज थी।

क्लॉस में जब सभी बैठे थे तब महिला ने क्लॉस के भीतर कदम रखा, तब सभी को लगा शायद शिक्षिका होंगी और सभी ने उठ कर उनका अभिवादन किया। महिला ने अभिवादन किया पर साथ में यह भी कह दिया कि मैं शिक्षिका नहीं, मैं भी आप ही की तरह विद्यार्थी हूं।

यह देखकर सभी को आश्चर्य हुआ। पहले दिन के लेक्चर्स समाप्त हुए और बूढ़ी महिला ने अपने पास बैठी एक 19 वर्ष की लड़की से बातचीत आरंभ कर दी।

दोनों काफी देर तक बातचीत करते रहे और बूढ़ी महिला ने उसे कैंटीन चलने के लिए कहा। दोनों कैंटीन पहुंचे और कॉफी पीने लगे। महिला ने बताया कि बचपन से उसकी इच्छा थी कि कॉलेज जाए और पढ़े पर ऐसा संभव नहीं हो पाया। जीवन की आपाधापी में वह पढ़ाई करने की इच्छा को पूर्ण नहीं कर पाई। कई बार लगता था कि कॉलेज का जीवन कितना अच्छा होगा, कितने दोस्त बनेंगे आदि।

बुढ़ापा आया तब उसने स्वयं यह ठान लिया कि वह अपने आप पर बुढ़ापे को हावी नहीं होने देगी और अपनी इच्छा पूर्ण करेगी। इस कारण कॉलेज में भर्ती हो गई। कॉलेज में जैसे-जैसे दिन बीतते गए महिला की लोकप्रियता बढ़ती गई। वह अपने जीवन के अनुभवों से युवाओं का दिल जीत लेती थी और देखते ही देखते उसके कई दोस्त बन गए।

कुछ ही समय में वह सभी छात्रों के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही। वह कैंटीन जाती, अपने दोस्तों के साथ पार्टियां मनाने भी जाती थी और सभी उनका खासा सम्मान भी करते थे। कॉलेज में एक वर्ष ऐसा बीत गया जैसे पता ही न चला हो। डिप्लोमा पूर्ण हुआ और महिला भी अच्छे नंबरों से पास हुई।

डिप्लोमा पूर्ण होने की खुशी में पार्टी का आयोजन किया गया जिसमें सभी को अपनी बात रखने का मौका दिया गया। बुजुर्ग महिला ने सबसे अंत में अपनी बात रखी।

महिला ने अपनी बात को कुछ इस तरह रखा- मैं आपको अपने अनुभव के आधार पर ही कुछ बातें कह सकती हूं। जीवन में बड़े होने में और बूढ़े होने में बड़ा फर्क है। अगर आप लोग 19 वर्ष के हैं और अगले एक वर्ष तक कुछ नहीं करते हैं तब आप 20 वर्ष के हो जाएंगे और मैं कुछ नहीं करूंगी तब 88 वर्ष की हो जाऊंगी। इस तरह कोई भी अपनी उम्र बढ़ा सकता है और इसमें किसी प्रतिभा या प्रयत्न करने की कोई जरूरत नहीं है।

बात यह है कि आप बूढ़े नहीं बड़े बनें और बदलाव को स्वीकार कर मौके ढूंढें। अगर आपको युवा बने रहना है तो लगातार कुछ न कुछ करते रहने की आदत डालें।