50 वर्षीय आरती अपने 28 वर्षीय बेटे सिद्धार्थ की दुर्घटना में मौत होने के बाद कोलकाता आई हुई है। वह तीन दिन के लिए कोलकाता में है ताकि अपने बेटे की चीजों को पैक कर दिल्ली ले जा सके। इस दौरान वह अपने बेटे के ऑफिस में काम करने वाले उसके साथियों से मिलती है जिनमें ओर्नाब और सहाना प्रमुख है।
आरती को अपने बेटे और उसके साथियों से रिश्ते के बारे में कई नई बातें पता चलती हैं। वह महसूस करती है कि अपने बेटे की जिन चीजों को वह बेहद व्यक्तिगत मानती थी उस पर उसके दोस्तों का ज्यादा हक है। लिहाजा वह उन्हें बाँट देती है।
फिल्म को तीन भाषाओं हिंदी, बंगाली और अँग्रेजी में बनाया गया है।