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Written By WD

द अटैक ऑफ 26/11 महज एक फिल्म नहीं- नाना पाटेकर

द अटैक ऑफ 26/11 महज एक फिल्म नहीं- नाना पाटेकर -
नाना पाटेकर मुंबई हमले पर बनी फिल्म 'द अटैक ऑफ 26/11' में मुंबई पुलिस के जॉइन्ट कमिश्नर राकेश मारिया की दमदार भूमिका में दिखाई देंगे। इस फिल्म का निर्देशन रामगोपाल वर्मा ने किया है।

मुंबई हमले पर आधारित यह फिल्म 1 मार्च को थिएटर्स में रिलीज होगी। पेश है नाना पाटेकर से हुई बातचीत-

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आप मुंबई हमले की घटना से पूरी तरह परिचित हैं। जॉइन्ट कमिश्नर राकेश मेहरा के किरदार के लिए आपने क्या तैयारियां की?
राकेश मारिया मेरे अच्छे दोस्त हैं। पुलिस विभाग में भी और भी ऑफिसर मेरे दोस्त है। पुलिस के साथ मेरा संबंध हमेशा अच्छा रहा है। मैंने इस किरदार के लिए वैसा ही रवैया अपनाया जैसा वे रहते हैं। मेरे रोल के लिए इतना काफी था।

फिल्म में अपने किरदार के बारे में बताइए?
राकेश मारिया पर यह आरोप लगा था कि वे स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पाए थे, लेकिन प्रधान समिति के सामने उन्होंने जो जवाब दिए थे उसी को आधार बनाकर उनका किरदार फिल्म में दिखाया गया है। रामू ने इस अलग मैनर और पैटर्न में पेश किया है।

फिल्म एक दुखद घटना पर आधारित है, इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
हां, यह एक ऐसी घटना नहीं थी जिसे हम याद रखते और खुश होते। यह एक ऐसा भयावह हादसा थे जिसे हम भूलना चाहेंगे। हम इस घटना को दस्तावेज की तरह पेश नहीं करना चाहते हैं। रामू इस फिल्म के जरिए जो दिखाना चाहते हैं वह मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।

यह आपको फिल्म में मेरे किरदार से पता चल जाएगा। फिल्म देखने के लिए आप यह समझ सकेंगे कि हम फिल्म से क्या संदेश देना चाहते हैं। फिल्म ना कोई गाना, न कोई डांस है, जो आपका मनोरंजन करे। यही कारण कि मैंने फिल्म का हिस्सा बनने की सोची।

आपके लिए द अटैक ऑफ 26/11' दूसरी फिल्मों से किस तरह अलग है?
यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है। अगर आपको ऐसा लगा कि यह सिर्फ एक फिल्म है तो हमें लगेगा कि हम अपने प्रयास को अच्छी तरह से दर्शकों के सामने प्रस्तुत नहीं कर सके। फिर भी मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि यह आपको फिल्म की तरह बिलकुल नहीं लगेगी। मुझे यकीन है कि थिएटर में फिल्म देखने के बाद लोग तालियां नहीं बजाएंगे बल्कि हर व्यक्ति के होंठ पर ताला लग जाएगा। रामगोपाल वर्मा फिल्म को इसी तरह प्रस्तुत करना चाहते थे और यही फिल्म की सफलता है।

मुंबईकर होने के नाते इस फिल्म में काम करना कितना कठिन रहा जब आपने मुंबई हमले को टीवी पर देखा था?
अक्सर आप जब फिल्म में किसी किरदार को निभाते हैं तो वह आपसे अलग होता है, लेकिन इस फिल्म में मेरे रोल के साथ ऐसा नहीं था। मेरे लिए यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है। मेरे लिए यह किरदार एक चुनौती था, क्योंकि यह एक ऐसा व्यक्ति है जिसने हमले के दौरान मुंबई की रक्षा की थी। मैं यह नहीं कहना चाहता कि निर्देशक पूरे घटनाक्रम के बारे में क्या सोचता है। जरूरी यह नहीं कि फिल्म दर्शकों का मनोरंजन करती है या नहीं, आवश्यक यह कि फिल्म का समाज पर कितना प्रभाव पड़ता है।

अगर आप मुझसे पूछें कि किरदार को निभाने के दौरान मुझे क्या कठिनाई आई तो मैं यह कह सकता हूं कि मेरे 40 साल के एक्टिंग करियर के बाद मैं यह कह सकता हूं कि मैं अपने रोल के साथ न्याय कर पाया हूं। मैं इस बात से सहमत हूं कि यह भूमिका 'वेलकम' के किरदार जितनी आसान नहीं थी।

फिल्म के बारे में आप क्या सोचते हैं?
मैंने अभी तक पूरी फिल्म नहीं देखी है, लेकिन जितनी ‍भी फिल्म मैंने देखी है, उससे मैं यह कह सकता हूं कि लंबे समय बाद रामगोपाल वर्मा ने एक बहुत अच्छी फिल्म बनाई है और मुझे खुशी है कि मैं इस फिल्म का अहम हिस्सा हूं।

क्या मुंबई हमला सुरक्षा व्यवस्था की कमी का परिणाम था?
यह कहना बड़ा आसान है, लेकिन इतने सारे लोगों की सुरक्षा कोई आसान बात नहीं है। जनसंख्या के अनुपात में पुलिस बल बहुत कम है। मुझे लगता है कि आपसी प्यार और विश्वास से ही हम ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण पा सकते हैं। हम धर्म, जाति के बंधन में रहकर आतंकवाद का सामना नहीं कर सकते हैं।

आपने फिल्म इंडस्ट्री से इतने सालों में क्या पाया?
मैं इं‍डस्ट्री में सिर्फ पैसा कमाने नहीं आया। मैं इसलिए फिल्मों में आया क्योंकि यह अपनी बात कहने का बहुत बढ़िया माध्यम है। सिनेमा से लोगों में एक संदेश जाता है, इसलिए मैंने 'वेलकम' जैसी फिल्म में काम किया। लोगों ने इस फिल्म को बहुत पसंद भी किया। इस तरह की बहुत सारी फिल्में हैं।

इससे पहले भी पुलिस का किरदार निभाया है कैसा लगा?
फिल्मों में मैं हमेशा एक ईमानदार पुलिस वाला बना हूं। 100 पुलिसकर्मियों में से कोई एक भ्रष्ट होता है। एक लाठी से वे लोगों की रक्षा में लगे रहते हैं। इंडस्ट्री में मेरी बहुत लोगों से लड़ाई हुई है, लेकिन कोई भी मेरा दुश्मन नहीं है। इस फिल्म का किरदार पुलिस फोर्स को एक तरह का आदर देना है।