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Written By BBC Hindi
Last Modified: नारायण बारेठ, बीबीसी संवाददाता, जयपुर , रविवार, 20 जुलाई 2008 (17:36 IST)

जंतर-मंतर के जरिए बारिश की भविष्यवाणी

जंतर-मंतर के जरिए बारिश की भविष्यवाणी -
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दुनिया और भारत मे जहाँ वर्षा और मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए विज्ञानी उपग्रहों और आधुनिक यंत्रों की मदद ले रहे हैं, वहीं जयपुर में पंडित सदियों पुरानी जंतर-मंतर वेधशाला के जरिए मौसम के मिजाज की मुनादी कर रहे हैं।

इसे वायु परीक्षण कहा जाता है। इस वर्ष पंडितों ने जंतर-मंतर पर वायु परीक्षण किया और कहा बरसात तो ठीक होगी, लेकिन ये खंड-वर्षा का योग है।

पंडितों का कहना है की ऊँची इमारतों की वजह से सटीक भाविष्यवाणी में दिक्कत आ रही है। क्योंकि वायु वेग प्रभावित होने लगा है। जयपुर के पंडित और शास्त्रों के ज्ञाता जंतर-मंतर पर जमा हुए और पारंपरिक विधि से मौसम का मन टटोलने की कोशिश की।

पंडितों ने पहले गणेश वंदन किया और ध्वज पूजन के बाद पंडितों के एक दल ने वहां बने ऊँचे सम्राट यंत्र पर चढ़कर हवा का रुख जाना। कार्यक्रम के संयोजक पंडित शिवदत्त शास्त्री का कहना है कि हम हवा के रुख से ही वर्षा की भविष्यवाणी करते हैं, हम शास्त्रों में वर्णित चार दिशाओं और उनके चार कोणों से हवा का रुख जानकर वर्षा का पता लगाते हैं।

सम्राट यंत्र पर जब पताका हवा में ऊँची लहराई तो सभी पंडितों ने उस पर नजरें लगा दीं। बाद में पंडितों ने परस्पर विचार विमर्श किया और अपने-अपने निष्कर्ष निकाले।

कितनी सटीक गणना?
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एक और पंडित विनोद शास्त्री का कहना है कि अन्न-धान की कमी नहीं होगी। हवा पश्चिम से पूर्व की तरफ है। फिर हलके से ईशान की और वायु का प्रवाह हुआ है। ये अच्छी वर्षा का संकेत देता है, लेकिन इसे विपुला की जगह हम खंड-वर्षति कहेंगे। क्योंकि बीस जून से पहले जो वर्षा हुई वो ग्राभ्स्रावा की श्रेणी में आती है।

बारिश का अनुमान लगाने वाले इन पंडितों का कहना था की पहले जयपुर में इतनी ऊँची इमारतें नहीं थीं, लिहाजा वायु के प्रवाह में कोई अवरोध नहीं था और वर्षा का पता लगाने में निष्कर्ष सटीकता तक पहुँचते थे, लेकिन अब ऊँची इमारतों की वजह से गणना थोड़ी मुश्किल होती है।

राजस्थान विश्वविद्यालय के ज्योतिष विज्ञान केन्द्र के निदेशक विनोद शास्त्री कहते हैं कि खंड वर्षति का योग तो बनता है, लेकिन ये भविष्यवाणी पूरे देश के लिए नहीं होती है, बल्कि ये चौरासी कोस तक होती है।

जयपुर के तत्कालीन राजा जयसिंह ने जिन पाँच वेधशालाओं का निर्माण करवाया था, उनमें सबसे बड़ी जयपुर की जंतर-मंतर ही है। इसे दुनिया भर से लोग देखने आते हैं।

पुरातत्व विभाग के निदेशक बीएल गुप्ता कहते हैं कि ये वेधशाला अपने तरह की अनूठी है। ये गुजरे जमाने के खगोलीय विज्ञान की समृद्धि का अहसास कराती है।