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Written By भाषा

किधर जाएंगे बनारस के मुस्लिम मतदाता?

- अतुल चंद्रा (वरिष्ठ पत्रकार)

किधर जाएंगे बनारस के मुस्लिम मतदाता? -
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आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 25 मार्च को वाराणसी में एक जनसभा करेंगे और उसके बाद जनमत के आधार पर तय करेंगे कि वो नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे या नहीं। उनके निर्णय पर निर्भर करेगा कि शिव की इस नगरी का मतदाता साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर वोट देगा या विकास के नाम पर।

काशीनगरी में लगभग तीन लाख मुस्लिम मतदाता हैं। ध्रुवीकरण की राजनीति में वे किसे वोट देंगे कहना आसान है। मुश्किल तब होगी जब कोई मुसलमान प्रत्याशी भी यहां से मैदान में उतरे। ऐसे में मुस्लिम वोट का बंटना और मोदी को उसका सीधा लाभ मिलना निश्चित है।

नरेन्द्र मोदी का नाम ही साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को प्रेरित करता है। वाराणसी के अंजुमन इंतेजामिआ मस्जिद के संयुक्त सचिव मोहम्मद यासीन कहते हैं, 'हम मोदी को सिर्फ गुजरात के नाते जानते हैं। वहां विकास कितना हुआ हमें नहीं मालूम, लेकिन हम यह जानते हैं कि वहां दंगा हुआ था।'

रोजगार पर जोर : मोदी के दो स्थानों से चुनाव लड़ने पर यासीन का कहना है कि जीतने के बाद कौन-सी सीट कोई रखेगा और किसे छोड़ेगा यह किसी एक के साथ विश्वासघात होगा।

पर यासीन की खास मंशा है कि 'शांति बनी रहे, विकास हो और नौजवानों को रोजगार मिले।' उनके अनुसार कमलापति त्रिपाठी के बाद किसी ने भी इस क्षेत्र के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया।

मुस्लिम समुदाय के बड़े धार्मिक नेता अब्दुल बातीन नोमानी, जो बनारस के मुफ्ती हैं, कहते हैं, 'वाराणसी अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिया जाना जाता है। हो सकता है कुछ लोग मोदी को वोट दें लेकिन आम यहां की आम जनता सेक्युलर है और अमन पसंद है। ऐसे लोग उनका साथ नहीं देंगे।'

केजरीवाल के बारे में पूछे जाने पर मुफ्ती कहते हैं, 'शायद उनको लोग कुबूल करें।' वाराणसी के अस्सी घाट के निकट एक होटल के मुस्लिम कर्मचारी कहते हैं कि अगर कोई मुसलमान प्रत्याशी नहीं खड़ा होता है तो मुस्लिम वोट कांग्रेस को जाएगा क्योंकि फिलहाल समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी काफी कमजोर है।
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वोट बंटने का खतरा : मुख्तार अंसारी के चुनाव लड़ने और मुस्लिम वोट के बंटने की बात पर वे कहते हैं, 'यह हमारा दुर्भाग्य होगा।' वे कहते हैं कि उनका नाम न लिखा जाए क्योंकि आने वाले समय में उसका असर उनके कारोबार पर पड़ सकता है।

अस्सी घाट से डेढ़ किलोमीटर दूर एक मोहल्ला है जिसका नाम तो है शिवाला, लेकिन यहां मुसलमान बहुतायत में हैं। शिवाला में जरदोजी के सामान की एक दुकान पर बैठे मोहम्मद एहसान बताते हैं कि किस तरह से वाराणसी में सांप्रदायिकता के आधार पर मतों का ध्रुवीकरण हो चुका है।

उन्होंने बताया, '60 से 70 फीसदी हिन्दू भाई मोदी को वोट देंगे और मुसलमान अपना वोट कांग्रेस या किसी अन्य मजबूत प्रत्याशी को देंगे।'

वह यह भी कहते हैं कि अगर क्लिक करें केजरीवाल यहां से लड़े तो लोग पूरी तरह से उनका साथ दें 'क्योंकि केजरीवाल धर्म और जाति की राजनीति नहीं करेंगे और बनारस के विकास की बात करेंगे।'

बाहरी उम्मीदवार : लेकिन वह एक बात जोर देकर कहते हैं कि इस बार मुख्तार अंसारी को वोट नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा, 'पिछली बार मुख्तार अंसारी को वोट सिर्फ इसलिए मिले थे क्योंकि कुछ टीवी चैनलों ने भड़काऊ ढंग से यह प्रसारित कर दिया था कि हिन्दू बड़ी संख्या में वोट देने के लिए निकल पड़े हैं।'
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मोहम्मद एहसान एक और महत्वपूर्ण बात कहते हैं, 'चार-पांच हजार शिया भाई भी नरेन्द्र मोदी को वोट दे सकते हैं।'

जरदोजी कि इस दुकान लगभग सौ मीटर की दूरी पर एक चाय की गुमटी है जो पहले कभी नायाब बेकरी हुआ करती थी। प्लास्टिक के गिलास में चाय निकालते हुए जाफर किसी भी बाहरी उम्मीदवार को देने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन मोदी को हराने के उद्देश्य से वह कांग्रेस को वोट देने को तैयार हैं।

जाफर कहते हैं, 'मुसलमान को सिर्फ इंतजार है सभी प्रत्याशियों के नाम तय होने का। जो मोदी को हराने के लायक दिखेगा वोट उसी को जाएगा।'