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जब ऐश्वर्या मिस वर्ल्ड बनीं

जब ऐश्वर्या मिस वर्ल्ड बनीं - जब ऐश्वर्या मिस वर्ल्ड बनीं
19 नवंबर 1994 वह दिन था, जब करोड़ों ‍हिन्दुस्तानी टीवी के आगे आँखें लगाए बैठे थे। ये सारी आँखें उस बिल्लौरी आँखों वाली लड़की को ढूँढ रही थीं, जिसने अपने अद्वितीय सौंदर्य से हर किसी को अचंभित कर दिया था। 

दक्षिण अफ्रीका के सनसिटी में आयोजित मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के आयोजक ऐश्वर्यरानामक भारतीय सुंदरी के विलक्षण रूप पर हतप्रभ थे। यह नवयौवना स्पर्धा के आरंभिक चरण में मिस फोटोजनिक का खिताब जीत चुकी थी और ज्यादातर विश्लेषकों का मत था कि प्रतियोगिता का मुख्‍य खिताब वही जीतेगी। इसीलिए निर्णायकों ने जब विश्व सुंदरी स्पर्धा की विजेता के बतौर ऐश्वर्या राय का नाम लिया तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ, सिवाय खुद 20 साल की उस तरुणी के, जो हाथों में अपना चेहरा छुपाए खुशी के आँसू छलका रही थी। नितांत मासूमियत के साथ व्यक्त किया गया यह हाव-भाव बाद में सौंदर्य प्रतियोगिताओं की हर स्पर्धा के लिए चिर-परिचित शैली बन गया।

ऐश्वर्या के मिस वर्ल्ड चुने जाते ही खार (मुंबई) स्थित उन के बंगले पर बधाइयाँ आना शुरू हो गईं। ऐश की माँ वृंदा अपने हाथों से सबको मिठाई बाँट रही थी। आम हिन्दुस्तानी यह देखकर अ‍चंभित था कि एक ही वर्ष में दो भारतीय बालाएँ सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने में कैसे सफल हो गईं। तीन दशक बाद कोई भारतीय लड़की विश्व सुंदरी का ताज पहनने में कामयाब हुई थी। यह पल हर देशवासी के लिए गर्व का भी अवसर था और हैरत का भी।

कुछ राजनीतिक, सामाजिक विश्लेषकों ने कयास लगाया ‍कि यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा भारत के विशाल प्रसाधन बाजार में सेंध लगाने की सा‍जिश है। जो भी हो, ऐश्वर्या राय का विश्व सुंदरी बनना एक महत्वपूर्ण घटना थी। खासकर बॉलीवुड के लिए, क्योंकि इसके बाद ही भारतीय सिनेमा को अगली सुपर तारिका मिली।

ऐश्वर्या के लिए मिस वर्ल्ड तक का सफर आसान भी था और मुश्किल भी। आसान इसलिए कि अपनी दैवीय सुंदरता की वजह से वे स्पर्धा में भाग लेने से पूर्व ही विजेता घोषित की जा चुकी थीं। मुश्किल इस वजह से कि अपनी ही एक हमवतन कोमलांगी के कारण उन्हें ब्रह्मांड सुंदरी के खिताब से वंचित रहना पड़ा। इन दोनों अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं के लिए प्रतियोगियों का चयन मिस इंडिया प्रतियोगिता के माध्यम से किया जाता है।

इस स्पर्धा की विजेता आमतौर पर मिस यूनिवर्स के खिताब हेतु भेजी जाती है, जबकि उपविजेता को मिस वर्ल्ड स्पर्धा में भाग लेना होता है। फेमिना मिस इंडिया स्पर्धा के आयोजक तक मान रहे थे कि ऐश्वर्या ही विजेता बनेंगी। लेकिन स्पर्धा के प्रश्नोत्तर खंड में बंगाली बाला सुष्मिता सेन दक्षिण भारतीय ऐश्वर्या से बाजी मार गईं। सुष्मिता को विजेता चुना गया और ऐश को उपविजेता।

मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के दौरान ऐश से पूछा गया कि वे खिताब जीतने पर क्या करेंगी? ऐश का जवाब था - 'निराश्रित बच्चों की सेवा करूँगी?' प्रतियोगिता जीतने के बाद ऐश्वर्या को संयुक्त राष्ट्र ने अपना सांस्कृतिक राजदूत नियुक्त किया और उन्हें निर्धन बच्चों की सेवा का दायित्व सौंपा।

दूसरी ओर भारत में कुछ महिला संगठन विश्व सुंदरी स्पर्धा पर अश्लीलता का आरोप लगाते हुए प्रतिबंध की माँग कर रहे थे। ऐश ने इन्हें जवाब दिया कि वे नारेबाजी या आलोचना के बजाय जरूरतमंदों के बीच जाकर काम करें। ऐश और सुष्मिता से प्रेरित होकर लारा दत्ता, प्रियंका चोपड़ा जैसी भारतीय सुंदरियों ने अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य स्पर्धाओं में खिताब जीते। ऐश्वर्या के विश्व सुंदरी बनने का ही प्रताप था कि अमिताभ बच्चन अपनी एबीसीएल कंपनी के साथ मिस वर्ल्ड स्पर्धा के प्रायोजन हेतु आगे आए।

मुंबई की ओबेरॉय होटल में कैंसर पीड़ितों के सहायतार्थ आयोजित एक फैशन-शो से ऐश्वर्या राय ने ग्लैमर की दुनिया में कदम रखा था। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी वे पूरी दुनिया में चर्चित हो जाएँगी। मिस वर्ल्ड चुने जाने के बाद ऐश्वर्या को सबसे ज्यादा पीड़ा इस बात से हुई कि कुछ समालोचकों ने उन्हें बार्बी डॉल कहना शुरू कर दिया।

बॉलीवुड में लंबा समय गुजारने के बाद ऐश्वर्या यह साबित कर चुकी हैं कि उनमें सुंदरता के अलावा भी बहुत कुछ है, जो रजतपट की श्वेत आभा पर सतरंगी किरदारों के साथ उभरकर आता है। सूरत और सीरत दोनों पैमानों पर ऐश विजेता सिद्ध हुई हैं। बॉलीवुड भी बधाई का पात्र है कि उसने इस स्वप्न सुंदरी के भीतर छुपी प्रतिभा को पहचान कर निखरने का मौका दिया।