गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By समय ताम्रकर

लगान का मैनेजमेंट

लगान का मैनेजमेंट - लगान का मैनेजमेंट
कोई भी फिल्म मनोरंजन के साथ शिक्षा और सूचना भी देती है। आमिर खान की फिल्म लगान ने भारतीय उद्योग जगत और बिजनेस मैनेजमेंट संस्थाओं में हलचल मचाई। अनेक संस्थानों में शोध प्रबंध प्रस्तुत हुए और छात्र-छात्राओं को 'टेक्स्ट-फिल्म' की तरह लगान दिखाई गई। उस पर बहस की गई। लघु उद्योग सेवा संस्थान, इंदौर के उपनिदेशक जीडी गिडवानी ने इसी प्रकार का शोध किया है। उसके प्रमुख अंशों का सार यहाँ दिया जा रहा है। इससे यह बात स्थापित होगी कि एक फिल्म को इस रूप में भी देखा जाना चाहिए।

* समझ पैदा करने की क्षमता
फिल्म लगान में भुवन ने क्रिकेट खेलना गाँव वालों को गिल्ली-डंडा खेलने के समान समझाया। ऐसा करने से असंभव कार्य भी संभव हो गया। असंभव कार्य चिर-परिचित कार्य से मिलान करते हुए किए जाने से प्रगति के रास्ते खुलते जाते हैं।

* बड़े स्वप्न, स्पष्ट लक्ष्य :
नायक भुवन ने कैप्टन रसैल की चुनौती को स्वीकार कर तीन वर्ष तक लगान न देने का स्वप्न देखा था। यह लक्ष्य स्पष्ट और स्वप्न काफी बड़ा था। उसने कुशल योजना और नेतृत्व क्षमता से उसे साकार किया। आज के उद्यमी स्वप्न तो बड़े देखते हैं पर लक्ष्य अस्पष्ट होते हैं।

* विरोध का डटकर सामना :
कैप्टन रसैल की चुनौती को स्वीकार करने के बाद भुवन को विरोध के स्वर सुनाई देने लगे। लेकिन वह डटा रहा, क्योंकि वह जानता था कि वह सभी की भलाई का कार्य कर रहा है। लघु उद्योगों को भी मल्टी नेशनल कंपनियों से डटकर मुकाबला करने के लिए को-ऑपरेशन की जरूरत है।

* टीम निर्माण का कौशल :
टीम वर्क से किया कार्य सदैव सफल होता है। भुवन ने एक श्रेष्ठ टीम के साथ विजय प्राप्त की। लघु उद्योगों में भी उत्तम लीडर‍शिप का रहस्य यानी संबंधों का सही निर्वाह है।

* भूमिका का विभाजन :
भुवन ने हर सदस्य को उसकी योग्यता के अनुसार काम का विभाजन किया था। लघु उद्योगों में भी कार्यों का स्पष्ट विभाजन, जिम्मेदारी का वहन करने वाले कुशल व्यक्तियों की जरूरत होती है। सभी का एक उद्देश्य हो जाए तो बंद मुट्‍ठी के रूप में कार्य कर सफलता अर्जित की जा सकती है।

* छोटी सफलता का महत्व :
भुवन जब बॉल की धुनाई करता है तो गाँव वालों की समझ में आता है कि यह काम आसान है। गाँव वाले उसके अभियान में शामिल होते हैं। किसी भी प्रोजेक्ट के आरंभ में कार्यकर्ताओं की सहभागिता हासिल कर छोटी-छोटी बातों से उत्तेजना का संचार कर सफलता प्राप्त की जा सकती है।

* सफलता के प्रति विशेष आग्रह :
भुवन टीम के सदस्यों के सामने महत्वाकांक्षा रखता है एवं उसकी पूर्ति के लिए टीम को मैच खेलने के लिए विशेष आग्रह करता है। लघु उद्योगों के प्रमुख को भी कार्यकर्ताओं में बगैर हिचकिचाहट के उत्साह जाग्रत करने हेतु विशेष आग्रह करना चाहिए।

* सार्वजनिक हित का महत्व :
भुवन तीन साल तक लगान से छूट का लाभ स्वयं के लिए नहीं, बल्कि ग्रामवासियों के हित के लिए करता है। उद्यमी को भी सदैव सार्वजनिक हित को महत्व देना चाहिए।

* उत्तम नेतृत्व क्षमता :
भुवन ने जो काम हाथ में लिया, उसे प्रतिबद्धता से पूरा किया। उत्तम नेतृत्व के लिए टीम के साथ लगातार संपर्क रखना और उनकी हौसला अफजाई करना जरूरी है।

* ईश्वर पर विश्वास :
किसी भी चुनौती से मुकाबला करने के लिए ईश्वर पर विश्वास आवश्यक है। ईश्वर पर आस्था रखकर चम्पानेर के योद्धा अपने अभियान के लिए निकलते हैं और सफल होते हैं। उद्योगों में भी ईश्वर पर विश्वास रखकर इकाई की सफलता की कामना करना चाहिए।

* सीमित साधनों का उत्तम उपयोग :
गाँव वाले दिनभर काम करने के बावजूद रात्रि में मशालों की रोशनी में खेलते हैं। अपने कार्य-कौशल से खेल की सामग्री बनाते और इकट्‍ठा करते हैं। उद्योगों को भी साधन के अभाव में समय गँवाने पर शासन को कोसने के बजाय सही समय पर सही कार्य को अंजाम देने पर जोर देना चाहिए।

* अप्रत्याशित को स्वीकार करना :
टीम का आउट होना, इस्माइल को चोट लगना ये सब टीम के लिए अप्रत्य‍ाशित घटनाएँ थीं। इन्हें पूरी टीम ने ईश्वर की कृपा समझकर अपनाया। उद्यमी को भी अच्छे-बुरे समय में तटस्थ रहने की इच्छा‍शक्ति निर्मित करनी चाहिए।

* अंतिम समय तक आशा नहीं छोड़ना :
भुवन ने अंतिम समय तक जीत की उम्मीद कायम रखी। अंतिम बॉल ने निर्णय बदलकर सफलता गाँव वालों की झोली में डाल दी। उद्योगों को भी गुणवत्ता बनाए रखते हुए अपने कार्य को श्रेष्ठतम तरीके से जारी रखना चाहिए।