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Written By समय ताम्रकर

आमिर खान की श्रेष्ठ फिल्में

आमिर खान की श्रेष्ठ फिल्में - आमिर खान की श्रेष्ठ फिल्में
आमिर खान ने अपने लंबे करियर में कई बेहतरीन फिल्में की, जिनमें से बेस्ट मूवी यहां पेश है। इन्हें इनके रिलीज होने के वर्ष अनुसार जमाया गया है। 

* पीके (2014) : थ्री इडियट्स की ऐतिहासिक सफलता के बाद राजकुमार हिरानी और आमिर खान ने फिर हाथ मिलाए। दर्शकों की अपेक्षाओं की ऊंचाई हिमालय जितनी ऊंची हो गई और अपेक्षाओं पर खरा उतरना आमिर बखूबी जानते हैं। अंधविश्वास के खिलाफ चोट पहुंचाने वाली कड़वी बात को मनोरंजन की मीठी चाशनी में लपेट कर इस तरह पेश किया गया कि दर्शक हंसते भी रहे और फिल्म में दिखाई जा रही बातों से सहमत भी होते रहे। रिलीज के पूर्व आमिर के न्यूड पोस्टर ने धमाल मचा दिया था तो रिलीज के बाद आमिर के शानदार अभिनय ने लोगों को गुदगुदा दिया। आमिर के चौड़े कान एलियन के रोल के लिए उपुयक्त नजर आए। चौड़ी आंखे, मुंह में पान और जुबां पर भोजपुरी भाषा लिए आमिर ने 'पीके' बन अपने करियर का बेहतरीन अभिनय किया।

* 3 इडियट्स (2009) : 45 वर्ष के आमिर ने 20 वर्ष के स्टुडेंट की भूमिका निभाई। चेहरे से, हावभाव से, एक्टिंग से आमिर ने अपने इस रोल को जस्टिफाई किया। रणछोड़दास श्यामलदास चांचड़ के रूप में उन्होंने ऐसा अभिनय किया जो क्रिटिक्स से लेकर आम दर्शकों तक को खूब भाया। ‘3 इडियट्स’ का नाम भारत की सफलतम फिल्मों की सूची में दर्ज हो गया। मनोरंजन के साथ-साथ एजुकेशन सिस्टम पर इस फिल्म के जरिये सवाल उठाए गए।

गजनी (2008) : यह फिल्म शुद्ध रुप से व्यावसायिक फिल्म है। बदले के थीम पर आधारित इस फिल्म में रोमांस और एक्शन उभरकर सामने आता है। आमिर ने प्रचार के महत्व को जानकर इस फिल्म के प्रचार के लिए नई रणनीति बनाई। अपनी एट पैक एब्स बॉडी का उन्होंने जमकर प्रचार किया कि लोग फिल्म देखने के लिए टूट पड़े। यह फिल्म भारतीय फिल्म इतिहास की सफलतम फिल्मों में से एक है।

तारे जमीं पर (2007) : अभिनेता आमिर पर निर्देशक आमिर भारी पड़े। बिना स्टार्स, अंग-प्रदर्शन और फूहड़ हास्य के ‍सफल फिल्म बनाकर आमिर ने साबित किया कि अच्छी फिल्म बनाई जाए तो भी बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई जा सकती है। इस फिल्म ने आमिर के कद को और ऊँचा किया।

रंग दे बसंती (2006) : युवा वर्ग की ताकत की ओर यह फिल्म इंगित करती है। हमारे देश में कई युवा ऐसे हैं, जिनके सामने कोई लक्ष्य नहीं है और वे निरर्थक बातों में अपनी शक्ति को जाया करते हैं। आमिर ने पूरी तरह डूबकर अपनी भूमिका अभिनीत की और बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने कामयाबी हासिल की।

दिल चाहता है (2001) : फरहान अख्तर जैसे नए और युवा निर्देशक के साथ आमिर ने काम करना स्वीकार किया। इस फिल्म को भारतीय फिल्म इतिहास का टर्निंग पाइंट कहा जा सकता है। ताजगी से भरी इस फिल्म ने कई लोगों को नई सोच की फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया। आमिर इस फिल्म में अनोखे हेयर स्टाइल में नजर आए और अपने अभिनय में उन्होंने नए प्रयोग किए।

लगान (2001) : क्रिकेट और देशभक्ति को जोड़कर आमिर और आशुतोष गोवारीकर ने एक महान फिल्म की रचना की। आमिर ने इस फिल्म पर पैसा लगाकर जोखिम मोल लिया था। भुवन का किरदार हमेशा याद किया जाएगा, जो क्रिकेट के जरिये अँग्रेजों से टकराता है। ‘लगान’ की गिनती श्रेष्ठ भारतीय फिल्मों में की जाती है।

सरफरोश (1999) : ‘सरफरोश’ आमिर की बेहतरीन फिल्मों में से गिनी जाती है। पुलिस वाले की भूमिका आमिर नहीं निभा सकते हैं, शायद यह बात गलत साबित करने के लिए उन्होंने ‘सरफरोश’ की।

रंगीला (1995) : एक टपोरी युवक की भूमिका को आमिर ने इतनी खूबसूरती के साथ पेश किया कि मिमिक्री आर्टिस्ट आमिर को इसी अंदाज में दर्शकों के सामने दोहराते हैं।

अंदाज अपना-अपना (1994) : कई बार देखने पर भी यह फिल्म बोर नहीं करती। आमिर-सलमान की कैमेस्ट्री खूब जमी। इस फिल्म में आमिर के अंदर का हास्य अभिनेता उभरकर सामने आया। अनेक लोग चाहते हैं कि इस फिल्म का सीक्वल बनाया जाना चाहिए।

जो जीता वही सिकंदर (1992) : स्कूली जीवन को यह फिल्म नजदीक से दिखाती है। आमिर ने स्कूली छात्र की भूमिका निभाई। आमिर पर फिल्माया ‘पहला नशा’ गाना लोगों को अब तक याद है। इस फिल्म को खास कामयाबी नहीं मिली, शायद यह समय से आगे की फिल्म थी।

कयामत से कयामत तक (1998) : किसी हीरो को लांच करने के लिए टिपीकल बॉलीवुड फिल्म। प्रेमी-प्रेमिका। घर वाले रुकावट। प्यार के लिए जीने-मरने की कसमें। लेकिन आमिर की मासूमियत लोगों को इस कदर अच्छी लगी कि धीरे-धीरे इस फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़ दिए। इस फिल्म ने आमिर की इमेज ‘लवर बॉय’ की बना दी, जिससे बाहर निकलने में उन्हें काफी समय लगा।