समय के अविरल प्रवाह में थोड़ा-सा व्यवधान तब आता है, जब कोई ऐसी घटना होती है जिसका प्रभाव काफी लंबे समय तक होता है। वास्तव में इनमें से कई घटनाएं ऐसी होती हैं, जो कि समय के प्रवाह को भी बदलने का असर रखती हैं और इनके बाद दुनिया ऐसी नहीं रहती है, जैसी कि इनसे पहले थी। वर्ष 2016 के दौरान भी ऐसी घटनाएं हुईं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय पटल का दृश्य ही बदला है और इनके प्रभाव के चलते समूची दुनिया का इतिहास और भूगोल भी प्रभावित होगा।
1. डोनाल्ड ट्रंप के हाथों में अमेरिका की कमान : इस वर्ष 9 नवंबर 2016 को अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी डोनाल्ड जे. ट्रंप ने निवर्तमान विदेशमंत्री और पूर्व प्रथम महिला हिलेरी रॉधम क्लिंटन को कांटे के मुकाबले में हरा दिया। अमेरिका में एक समय पर माना जा रहा था कि हिलेरी की एकतरफा जीत तय है। मीडिया, जानकार, राजनयिक, वैज्ञानिक और जनसामान्य तक यह मान बैठा था कि हिलेरी को कोई नहीं हरा सकता है। इस दौरान मीडिया में ट्रंप की ऐसी छवि बनाई गई, जो कि उन्हें एक अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव वाले व्यक्ति के तौर पर चित्रित करता था। लेकिन सुप्रसिद्ध कारोबारी ट्रंप ने लोगों को विश्वास दिला दिया कि वे अमेरिका को फिर से महान बनाने की क्षमता रखते हैं। अंतत: लोकप्रिय वोट हिलेरी के पक्ष में रहा लेकिन राष्ट्रपति को चुनने वाले निर्वाचक मंडल के निर्णायक वोट ट्रंप को मिले और वे जीत गए।
भारत में बड़े मूल्य के नोट चलन से बाहर : 2. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को टेलीविजन पर प्रसारित अपने भाषण में घोषणा की कि केवल 4 घंटे बाद बड़े नोट चलना बंद हो जाएंगे तो पूरा देश सन्न रह गया। जब प्रधानमंत्री ने इस आशय की घोषणा की तब रात के 8 बज रहे थे। अटकलें ये भी लगाई गईं कि खुद वित्तमंत्री अरुण जेटली को भी इसकी जानकारी नहीं थी। हालांकि बाद में यह साफ हुआ कि जिन 8-9 लोगों को इस पूरे मामले की पूरी जानकारी थी, उनमें जेटली भी शामिल थे।
इस घोषणा में प्रधानमंत्री ने भारत में तेज आर्थिक सुधारों के तहत बड़े मू्ल्य 500 और 1,000 रुपए मूल्य के नोटों को अवैध घोषित कर दिया। भारत की मोदी सरकार का मानना था कि इस कदम से कालेधन पर रोक लगेगी, भ्रष्टाचार कम होगा और आतंकवादी कामों में प्रयोग लाए जाने वाले धन पर रोक लगेगी। हालांकि ये ऐसे कदम हैं जिनके शत-प्रतिशत असरदार और परिणामोन्मुखी होने को लेकर आशंका जाहिर की जा रही है। भारत के इस कदम से इसकी अर्थव्यवस्था पर निर्भर देशों जैसे नेपाल व भूटान में जहां अफरा-तफरी फैल गई, वहीं भारत में रहने वाले विदेशी राजनयिकों, पर्यटकों और कारोबारियों को तमाम मुश्किलें हुईं। रूस जैसे देश ने तो भारत सरकार को चेतावनी भी दे डाली कि सरकार उनकी मौद्रिक समस्याओं को हल करे अन्यथा उसे कोई विकल्प खोजना पड़ेगा।
यूरोपीय संघ से ब्रिटेन का अलगाव : आलोच्य वर्ष में यूरोप और दुनिया का एक बड़ा हिस्सा ऐसे परिवर्तनों से प्रभावित हुआ जिनके बारे में कुछेक वर्ष पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। 28 देशों के संगठन यूरोपीय संघ से ब्रिटेन ने खुद को अलग कर लिया। इसके पहले पक्ष-विपक्ष में 23 जून 2016 को हुए एक जनमत संग्रह के जरिए लोगों से पूछा गया कि वे ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग के पक्ष में हैं या नहीं? 52 फीसदी लोगों ने इसके समर्थन में राय दी। परिणामस्वरूप डेविड कैमरन की सरकार न केवल गिर गई वरन उनके जैसे नेताओं का राजनीतिक भविष्य भी अधर में लटक गया। हालांकि इसके साथ स्कॉटलैंड के लोगों को स्वतंत्रता देने की भी मांग की गई थी लेकिन स्कॉटलैंड का बहुमत ब्रिटेन के साथ बने रहने के पक्ष में था।
ओलिंपिक खेलों पर जीका की मार : एक लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील में ओलिंपिक खेलों का आयोजन किया गया लेकिन यह जीका जैसी आनुवांशिक बीमारी के चलते प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। इस बीमारी के चलते नवजात शिशु सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। ब्राजील के रियो डि जेनेरियो शहर में 6 अगस्त 2016 को 206 देशों और शरणार्थियों की एक टीम के बीच प्रत्येक 4 वर्षों में होने वाली प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ।
इस ओलंपिक में 28 प्रकार के खेलों की प्रतियोगिता हुई और रियो ओलंपिक में 112 वर्ष बाद गोल्फ की वापसी हुई। चूंकि विश्वयुद्धों के कारण 3 ओलिंपिक खेलों का आयोजन नहीं हो सका था इसलिए यह ओलिंपिक इतिहास का 28वां ओलंपिक आयोजन था। इस आयोजन में 300 डांसर और 5,000 वॉलंटियर्स शामिल हुए और दुनिया की 207 टीमों के रिकॉर्ड 19,500
खिलाड़ियों ने हिस्सेदारी की।
कोसोवो और दक्षिण सूडान जैसे देश पहली बार ओलंपिक खेलों में शामिल हुए। रियो ओलंपिक में 554 खिलाड़ियों के साथ शामिल हुई अमेरिका की टीम सबसे बड़ी ओलंपिक टीम थी तो 100 मीटर के धावक इटिमोनी के साथ शामिल हुए देश तुवालू की टीम सबसे छोटी थी। ब्राजील के मराकाना स्टेडियम में खेलों की शुरुआत हुई। खेलों का आयोजन 5 अगस्त 2016 से शुरू हुआ था और 16 दिनों की प्रतियोगिताओं के बाद इनका 22 अगस्त 2016 को समापन हो गया।
फ्रांस, बेल्जियम आतंकी हमलों से सहमे : 15 जुलाई 2016 को नीस में नेशनल डे पर हुए इस हमले में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हुई जबकि इससे पहले 13 नवंबर 2015 को राजधानी पेरिस और इसके उपनगर सेंट डेनिस पर इस्लामी आतंकवादियों ने हमला किया। इन हमलों में जहां 129 लोग मारे गए थे वहीं 89 लोगों की मौत बाटाक्लां थिएटर में प्रदर्शन के दौरान हुई थी। इस अवधि में जहां आतंक का दूसरा नाम और इस्लामी संगठन आईएसआईएस मध्य-पूर्व के देशों से यूरोप तक आ गया। दो यूरोपीय देशों फ्रांस और बेल्जियम, जिनमें पहले से ही बड़ी संख्या में मुस्लिम शरणार्थी थे, सबसे ज्यादा प्रभावित हुए और पेरिस, ब्रसेल्स से लेकर इस्तांबुल हवाई अड्डों को आत्मघाती आतंकवादियों का शिकार होना पड़ा।
बुधवार 23 मार्च 2016 को इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकवादियों ने जहां बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स पर हमला कर 30 लोगों को मार डाला और इस हमले में 200 से ज्यादा लोग घायल हुए, वहीं यूरोप को निशाना बनाने के साथ-साथ इसने अपने समर्थक व सहयोगी माने जाने वाले देश तुर्की को भी निशाना बनाया। तुर्की के इस्तांबुल अतातुर्क हवाई अड्डे पर 28 जून 2016 को आत्मघाती हमला किया गया और आत्मघाती विस्फोटों में 42 लोगों की मौत हुई जिनमें 3 आतंकवादी भी शामिल थे। हम हमला हवाई अड्डे पर रात 11 बजे किया गया था।
कोलंबिया विमान दुर्घटना में खिलाड़ियों की मौत : वर्ष के आखिरी दिनों 29 नवंबर 2016 को मध्य कोलंबिया में यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को लेकर जा रहा एक विमान मध्य कोलंबिया में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें 76 लोगों की मौत हो गई लेकिन 5 लोग आश्चर्यजनक तरीके से जीवित बच गए थे। कोलंबियाई पुलिस के अनुसार विमान में ब्राजील के फुटबॉल क्लब चापेकोंसे की टीम के खिलाड़ी, कोच, कर्मचारी, कवरेज के लिए जा रहे पत्रकारों के अलावा चालक दल के सदस्यों समेत कुल 81 लोग सवार थे।
उत्तर कोरिया का दुस्साहस : वर्ष की शुरुआत में ही बुधवार 6 जनवरी 2016 को साम्यवादी और गुंडा राज्य के तौर पर ज्ञात उत्तर कोरिया ने दावा किया कि उसने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है लेकिन इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी, हालांकि इसी समय के दौरान रिक्टर पैमाने पर 5.1 तीव्रता का भूकंप मापा गया था। उत्तर कोरिया ने वर्ष 2006, 2009 और 2013 में भी परमाणु परीक्षण करने के दावे किए थे जिसके चलते संयुक्त राष्ट्र संघ ने उस पर कई गंभीर प्रतिबंध लगा दिए थे, लेकिन इन प्रतिबंधों के बाद भी उसने हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण करने का दावा किया है। उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को पाकिस्तान से सहायता मिलती है और दोनों देशों के बीच हथियारों की तकनीक का आदान-प्रदान होता रहा है।
मदर टेरेसा वैटिकन में 'संत' बनीं : भारत को अपना जीवन समर्पित करने वाली सिस्टर टेरेसा और मदर टेरेसा को वैटिकन में पोप फ्रांसिस ने 416 वर्ष पुराने नियम के बाद संत घोषित किया और वे कैथोलिक ईसाइयों के लिए सारी दुनिया में आदरणीय बन गईं, हालांकि भारत तो उन्हें पहले से ही भारतरत्न घोषित कर चुका था लेकिन 6 सितंबर 2016 को ईसाई परंपराओं के अनुसार विश्व के प्रमुख लोगों की मौजूदगी में वैटिकन ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया। इस समारोह में 13 देशों के राष्ट्राध्यक्षों के अलावा भारतीय प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
इस्लामिक स्टेट का सिकुड़ता साम्राज्य : इसी वर्ष मुस्लिम राज्य की खिलाफत स्थापित करने वाले संगठन को अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और अन्य देशों के सम्मिलित हमलों ने सीरिया के छोटे से भू-भाग में समेट दिया, जहां इसका तथाकथित खलीफा अबू बकर अल बगदादी जान बचाने के लिए छिपा हुआ है और अपने इस्लामिक साम्राज्य का पतन देखने के लिए विवश है।
भारत, अफगानिस्तान और ईरान का चाबहार समझौता : अरब सागर की खाड़ी में पाकिस्तान और चीन के गठबंधन की ताकत को बढ़ाने के लिए बनाए गए ग्वादर पोर्ट से खतरों को कम करने के लिए भारत ने ईरान, अफगानिस्तान के साथ चाबहार बंदरगाह को विकसित करने की परियोजना जून 2016 से शुरू की है। यह भारत-ईरान के करीबी संबंधों का गवाह है और इस समझौते के अंतर्गत चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए ये दोनों 50 करोड़ डॉलर की राशि खर्च करेंगे। यह भारत, अफगानिस्तान और ईरान को करीब लाने का साधन भी बनेगा। यहां से भारत और अफगानिस्तान, ईरान से तेल और गैस का आयात कर सकेंगे और इन देशों के संबंध और भी मजबूत होंगे।
अब हम अपने पाठकों से उम्मीद करते हैं कि वे यह बताने की तकलीफ करेंगे कि उपरोक्त सारी घटनाओं में से कौन-सी ऐसी घटना है जिसे दुनिया की सबसे बड़ी घटना का दर्जा दिया जा सके।