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मर्चेंट नेवी : साहस-जोखिम-रोमांच का संगम

मर्चेंट नेवी : साहस-जोखिम-रोमांच का संगम -
- अशोक सिंह

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अगर आप देश-विदेश में घूमने-फिरने का शौक रखते हैं और समुद्र की अठखेलियां करती लहरें आपको सहज ही आकर्षित करती हैं तो मर्चेंट नेवी का क्षेत्र आपके लिए रोमांच और साहस से भरा एक बेहतरीन करियर ऑप्शन सिद्ध हो सकता है। शौक के साथ भविष्य निर्माण का अनोखा संगम यह प्रोफेशन अपने आप में समेट हुए है।

पे-पैकेज 15 हजार रुपए प्रतिमाह से लेकर पद और अनुभव के साथ 7-8 लाख रुपए प्रतिमाह के स्तर तक पहुँच सकता है। मर्चेंट नेवी को लोग अमूमन नौसेना से जोड़ लेते हैं जबकि मर्चेंट नेवी मूलतः व्यापारिक जहाजों का बेड़ा कहा जा सकता है जिसमें समुद्री यात्री जहाज, मालवाहक जहाज, तेल टैंकर, रेफ्रिजरेटेड शिप आदि शामिल होते हैं।

इनमें कार्यरत प्रोफेशनल्स शिप के परिचालन, तकनीकी रखरखाव और यात्रियों के लिए अन्य प्रकार की सेवाएँ प्रदान कराने के कार्यकलापों से संबद्ध होते हैं। इनकी ट्रेनिंग विशिष्ट और मेहनत से भरी होती है। पारंगत होने के विश्वास पर ही ट्रेनिंग संस्थानों द्वारा इन्हें अधिकृत किया जाता है।

हालाँकि डिग्री या डिप्लोमाधारकों को भी 6 माह से लेकर एक वर्ष तक बतौर ट्रेनी या डेक कैडर ही बना कर रखा जाता है। समुद्री परिस्थिति और परिवार से दूर रहने की आदत डालनी होती है। आपातकालीन जोखिमों का साहस से झेलने का जज्बा भी उनमें भरा जाता है। आमतौर से विज्ञान विषयों सहित 10+2 पास युवा ही जेईई (आईआईटी प्रवेश परीक्षा) के माध्यम से इस प्रकार के कोर्स में प्रवेश प्राप्त करते हैं।

ट्रेनिंग कोर्स में दाखिला पाने की अधिकतम आयुसीमा 20 वर्ष सामान्य वर्ग के युवाओं के लिए और 25 वर्ष अनुजाति, जनजाति के युवाओं के लिए रखी जाती है। इसके अलावा इस क्षेत्रे में प्रवेश पाने का दूसरा रास्ता शिपिंग कंपनियों द्वारा समय-समय पर नियुक्त किए जाने वाले डेक कैडेट्स के रूप में भी है।

स्पेशियलाइजेशन के लिए एप्टीच्यूड एवं दिलचस्पी के अनुसार उन्हें अलग-अलग ट्रेड में वर्गीकृत किया जाता है। सफलतापूर्वक ट्रेनिंग की समाप्ति के बाद ही इन युवाओं को पहले प्रोवेशन और बाद में रेग्यूलर कर्मियों का दर्जा दिया जाता है। इन्हें आकर्षित पे-पैकेज (जो विदेशी शिपिंग कंपनियों के मामले में विदेशी मुद्रा में भी हो सकता है) के अलावा मुफ्त खाना-पीना, शुल्क रहित विदेशी सामान तथा वर्ष में पूरे वेतन के साथ चार माह की छुट्टियाँ भी मिलती हैं।

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जहाँ तक ट्रेनिंग का सवाल है तो ट्रेनिंगशिप चाणक्य (नवी मुंबई) और मरीन इंजीनियरिंग इंस्ट्टियूट (कोलकाता) का नाम खासतौर से इस बाबत लिया जा सकता है। 'चाणक्य' पर तीन वर्षीय बीएससी नॉटिकल साइंस और कोलकाता स्थित संस्थान में चार वर्षीय मरीन इंजीनियरिंग का कोर्स संचालित किया जाता है। इसके बाद एमई (मरीन इंजीनियरिंग) का कोर्स भी किया जा सकता है। शिपिंग क्षेत्र में कार्य के अनुसार विशेषज्ञता के विकल्प होते हैं।

एक नजर इन विभागों पर -
डेक, नेवीगेशन ऑफिसरः इनका काम शिप के नेवीगेशन पर आधारित होता है। कैप्टन या मास्टर के ही आदेश के तहत समूचा शिपिंग स्टाफ काम करता है। इसके बाद चीफ मेट और फर्स्ट मेट का स्थान होता है। इनका दायित्व कार्गो प्लानिंग और डेक के कामकाज पर आधारित होता है।

सेकेंड मेट का काम शिप के उपकरणों के समुचित रखरखाव और थर्ड मेट का काम लाइफ बोट्स और फायर फाइटिंग उपकरणों की देखभाल से संबंधित होता है।

इंजीनियरिंग ऑफिसरः शिप इंजन, बॉयलर, पंप, फ्यूल सिस्टम, जेनरेटर सिस्टम, एयर कंडिशनिंग प्लांट इत्यादि का जिम्मा इसी विभाग के विभिन्न श्रेणी के इंजीनियरों और कर्मियों पर होता है। इस विभाग में चीफ इंजीनियर सेकेंड इंजीनियर, थर्ड इंजीनियर, फोर्थ इंजीनियर आदि पद होते हैं। इसमें मैकेनिकल तथा इलेक्ट्रिकल इंजीनियर भी शामिल होते हैं।